भोरमदेव मंदिर – छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर प्रदेश का एक ऐतिहासिक मंदिर है जो कबीरधाम से लगभग 16 कि.मी. की दूरी पर चौराग्राम में मैकल श्रेणी पर स्थित है। फणीनागवंशी शासक गोपाल देव द्वारा 11वीं सदी में इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण कराया गया था।
यहां के दीवारों पर विभिन्न काम मुद्राओं में अनुरक्त युगलों का कलात्मक अंकन किया गया है। इसलिए इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है। भोरमदेव क्षेत्र के आस-पास भोरमदेव अभ्यारण्य है जहां प्राकृतिक रूप से जंगली जानवरों को विचरण करते देखा जा सकता है।
चैत्र रामनवमी के अवसर पर यहां लगने वाला भव्य मेला पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बिन्दु होता है। भोरमदेव महोत्सव में विदेशों के कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जाती है जो राज्य सरकार के लिए एक गौरवान्वित करने वाले महोत्सव के रूप में अपनी विशेषताओं को समेटे हुये है।